हेलो दोस्तों स्वागत है आपका shayariworld.com में आज मैं आपको Bisleri Success Story के बारे में बताऊंगा। जी हां दोस्तों बिसलेरी जिसका एक समय पर बहुत मजाक उड़ाया गया था आज मैं इसी की सफलता के बारे में आपको बताऊंगा।
Bisleri Success Story
आज से 100 साल पहले किसी को पता भी नहीं था की पानी को भी बेचा जा सकता है। लेकिन आज बहुत सी कंपनी है जो पानी को पैक करके मार्केट में बेच रही है। और बहुत सी कम्पनिया तो मार्केट में पानी की बोतल बेचकर धूम मचा रही है। आज मैं ऐसे ही एक कंपनी के बारे में बताऊंगा जो पानी की बोतल को बिसलेरी नाम से बेचते है।
ये कहानी उस कंपनी की है जो शुरुआत में मलेरिआ की दवाई बनती थी जो बाद में पानी को पैक करके बेचने लग गयी। फेलिस बिसलेरी नाम के एक इटली के बिजनेसमैन ने इसकी शुरुआत की और 1921 में इनकी मृत्यु हो गयी मिलान में उनके चले जाने के बाद डॉक्टर रोस्सी ने इनकी कंपनी को संभाला इसके मालिक भी बने।
शुरुआत में बिसलेरी कंपनी मलेरिआ के इलाज के दवा बनाने का काम करती थी और इस कंपनी की ब्रांच मुंबई इंडिया में थी। इंडिया के जाने माने बिजनेसमैन खुसरो संतो इनके जो पिताजी थे वो बिसलेरी कंपनी के कानूनी सलाहकार थे और साथ में डॉक्टर रोसी के अच्छे दोस्त भी थे।
कैसे हुई बिसलेरी की शुरुआत
डॉक्टर रोज़ी ने इंडिया में बिज़नेस की बढ़ते डिमांड को देखते हुए कुछ अलग करने का सोचा। और तब उनके दिमाग में आईडिया आया की बिसलेरी बिसनेस की शुरुआत इंडिया की जाए इंडिया में ब्रांडेड पानी बेचने का फार्मूला तो तैयार था। सन 1965 में डॉक्टर रोजी ने खुसरू संतो के साथ मिलकर बिसलेरी की पहली फक्ट्री मुंबई में डालते है इसके बाद ये काम रुकने वाला नहीं था।
शुरुआत में लोग खुसरू संतो साहब को लोग पागल कहने लगे थे बोलते थे की खुसरू संतो साहब ये क्या कर रहे है पानी मार्केट में नहीं बिकेगा। लोग ऐसा इसलिए कह रहे थे की जिस समय बिसलेरी को लांच किया गया था उस समय इस पानी की बोतल को 1 रूपए में बेचा जा रहा था उस 1 रूपए की बहुत वैल्यू होती थी इसलिए लोग ये कह रहे थे की पानी मार्केट में नहीं बिकेगा।
बिसलेरी वाटर प्लांट की मुंबई में शुरुआत इसलिए किया गया क्योकि की उस समय मुंबई का जो पानी था वो सही नहीं हुआ करता था इसलिए शुद्ध पानी को बोतल में भरकर बेचने के आईडिया से बिसलेरी की शुरुआत मुंबई में की गयी थी। बिसलेरी के मार्केट में दो प्रोडक्ट लांच हुए एक बिसलेरी वाटर बोतल और दूसरा बिसलेरी सोडा ये बिसलेरी सोडा था इसकी मार्केट में डिमांड ज्यादा थी।
कुछ समय बाद खुसरू संतो को ये बात समझ में आ गयी की ये बिज़नेस ज्यादा चलेगा नहीं इसलिए उन्होंने इस कंपनी को बेचने का फैसला लिया। और जब बिसलेरी की बिकने की बात आयी तो ये बात मार्केट में फ़ैल गयी। और पार्ले कंपनी जो चौहान ब्रदर्स थे उन्हें मालूम चला की बिसलेरी बिकने के लिए तैयार है।
पार्ले कंपनी के चौहान ब्रदर्स के उनमे से एक रमेश चौहान जी ने 1969 में इस कंपनी को खरीद लिया बिसलेरी अब पार्ले के पास आ चुकी थी। और जब बिसलेरी इन्होने खरीदी तब दुनिया में 5 स्टोर थे 4 मुंबई में थे और 1 स्टोर कोलकाता में था। रमेश चौहान जी ने अपनी सोच को थोड़ा आगे बढ़ाया और एक नयी सोच के साथ बिसलेरी को मार्केट में लांच किया।
पार्ले कंपनी ने बिसलेरी के बिज़नेस को बढ़ाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसी जगहों को चुना ऐसी सार्वजानिक जगह जहा पर लोगो का आना जाना लगा रहता है जैसे बस स्टैंड, रेलवे स्टैंड ऐसी जगहों पर बिसलेरी को बेचने के लिए डिस्ट्रब्यूटर बनाना शुरू किया। और इनका ये आईडिया था वो काम कर गया और धीरे धीरे बिसलेरी कंपनी मार्केट में बहुत पॉपुलर हो गयी।
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