हर रोज भारत में लगभग 2.5 करोड़ लोग ट्रेन में सफर करते है ये आकड़ा तो है जो टिकट बुक होते है बाकी का तो आप खुद अंदाजा लगा सकते है। सबसे हैरान करने करने वाली बात ये है इतने लोग सफर करने के बाद भी हर साल ट्रेन को घाटा ही हो रहा है और ये घाटा कोई छोटा नहीं है बहुत मोटा है।
Indian Railway Loss
The Comptroller And Auditor General of India यानि की CAG की रिपोर्ट के मुताबिक फाइनेंसियल ईयर 2023 में रेलवे को लगभग 2600 करोड़ का घाटा हुआ है। ऐसे में ये सवाल उठता है की आखिर ऐसा क्यों है ये समझने के लिए हमको ये समझना होगा की भारतीय रेलवे पैसा कमाती कैसे है।
भारतीय रेलवे पैसे कैसे कमाती है
भारतीय रेलवे 2 तरीके से पैसे कमाती है पहला होता है फ्रेट ऑपरेशन यानि ट्रेन गुड्स सामान को एक जगह से दूसरी जगह ट्रांसफर करती है। जिसे आप आसान भाषा में मालगाड़ी कह सकते है। दूसरा है पैसेंजर ट्रैन यानि की वो ट्रेन जो हम इंसानो को एक जगह से दूसरी जगह पहुँचती है।
अब प्रॉफिट की बात करे तो ये जो फ्रेट ऑपरेशन है इसमें रेलवे हमेशा फायदे में रहती है लेकिन ये जो पेसेंजर ट्रेन है इसमें घाटा देखने को मिलता है एक रिपोर्ट के मुताबिक फ्रेट ऑपरेशन में रेलवे को 2800 करोड़ का शानदार प्रोफिर देखने को मिला था वही पेसेंजर ट्रेन में 400 की हानि हुई थी।
ये अकड़े देखकर आपको ये तो समझ आ गया होगा की ये प्रॉब्लम कितनी बड़ी है और ये हमारे देश के इकॉनमी पर एक जख्म की तरह है। और इस जख्म के नासूर बनने से पहले इसका इलाज करना बहुत जरुरी है। तो दोस्तों इससे ये तो पता चल गया है की रेलवे का कौन सा मॉडल घाटे है और ये जानना भी जरुरी है की इसके लिए सरकार क्या कर रही है।
आखिर कैसे रेलवे को घाटा होता है
दोस्त देश के आजाद होने के बाद से लेकर आज तक मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास का एक बड़ा हिस्सा ट्रेन में सफर करता है। इसी बात को समझते हुए आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री प0 जवाहर लाल नेहरू जी ने भारतीय रेलवे को भारत सरकार की निगरानी में ही रखा।
ऐसा इसलिए किया क्योकि हर क्लास और हर इनकम वाले लोग अपने काम में आने जाने या फिर सफर करने के लिए ट्रेन का ही इस्तेमाल करे। लेकिन लोगो के लिए ट्रेवल अफोर्डेबल बनाने के साथ साथ सरकार के पैसा कमाने का भी जरिया ट्रेन है। और सारी कहानी यही से शुरू होती है।
अगर किसी बिज़नेस को लोगो के लिए बनाया जाता है तो वो पॉपुलर तो बहुत हो जाता है लेकिन इसमें घाटे के चांसेस बढ़ जाते है। और कुछ ऐसा ही इंडियन रेलवे के साथ ही हो रहा है। इसे आप ऐसे भी समझ सकते है की कुछ चीजे ऐसी होती है जो भारतीय रेलवे के लिए जरुरी नहीं है बल्कि मजबूरी है।
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सबसे पहली मजबूरी ये है की उनके कुछ ख़ास सेक्शन के लोगो को टिकट सस्ते में देना होता है। और साथ पिछड़े और आदिवासी इलाको में मालगाड़ी को भी सस्ते में भी भेजा जाता है। असल ये रेट इतने कम होते है की रेलवे को ट्रेन चलाने का भी खर्चा नहीं निकल पाता है। बात सिर्फ यही नहीं है की भारतीय रेलवे सिर्फ इन्ही इलाको में ही सस्ते रेट देती है।
बल्कि हम नार्मल पैसेंजर ट्रेन की बात करे तो भारतीय रेलवे आपको अपने रनिंग कॉस्ट से कम में आपको सफर कराता है। एक डाटा के मुताबिक एक पेसेंजर ट्रेन को 10 किलोमीटर तक चलाने का खर्चा 73 पैसे प्रति पेसेंजर आता है। लेकिन ये ही चीजे नहीं है जिससे रेलवे को घाटा होता है और भी सी चीजे है जिससे रेलवे भारी नुक्सान होता है।
कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर से होने वाला नुक्सान
भरतिया रेलवे को घाटा होने का सबसे बड़ा कारण उसका कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर है जी हां दोस्तों आज भी भारतीय रेलवे 19वी शदाब्दी मॉडल पर भी चल रही है उसको अभी तक पूरी तरह से अपडेट नहीं कर पाए है। बात करे 2001 से 2015 तक भरिया रेलवे में पेसेंजर ट्रेन 56% बढ़ी है और मालगाड़ी 59% बढ़ी है लेकिन इनके मुकाबले रेलवे ट्रैक में सिर्फ 12% की बढ़ोतरी हुई है।
अगर आप ये सोच रहे है की ये रेलवे ट्रैक लाइन कम होने से रेलवे का नुक्सान कैसे है तो आपको बता दे रेलवे ट्रैक लाइन में बढ़ोतरी नहीं होने से ट्रेन को कई घंटो तक सिंग्नल के लिए खड़े होना पड़ता है और इससे हाल्टिंग जैसी समस्या भी देखने को मिलती है। जिसका असर उस ट्रेन की स्पीड और एफिसेंसी पर पड़ता है और खड़ी ट्रेन में बिजली का भी ज्यादा नुक्सान होता है।
ट्रेन एक्सीडेंट से होने वाला नुक्सान
अभी तक जो रेलवे को नुक्सान हो रहा था ये तो छोटे नुक्सान थे इस कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर होने की वजह से जो ट्रेन के एक्सीडेंट होते है इससे भी रेलवे को बहुत बड़ा नुक्सान होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में रेलवे के सबसे ज्यादा एक्सीडेंट ट्रेन के पटरी के उतरने की वजह से होते है। एक्सीडेंट फिर भी अनजाने में होते है लेकिन कुछ चीजे ऐसी है जिससे रेलवे को मोटा नुक्सान होता है।
प्रोटेस्ट से होने वाले नुक्सान
इस बात को सभी जानते है की भारत में जब भी प्रोटेस्ट होता है तो जितने भी हिंसक प्रोटेस्टर होते है उनके लिए सबसे आसान टारगेट बस और ट्रेन होते है एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020-21 में प्रोटेस्ट की वजह से 467 करोड़ का रेलवे को नुक्सान हुआ था। और हाल ही में हुए अग्निपथ वाले प्रोटेस्ट में रेलवे को भारी नुक्सान हुआ था।
तो ये कुछ पॉइंट जिनसे रेलवे को भारी नुक्सान का सामना करना पड़ता है और इसी नुक्सान का असर देश की इकॉनमी पर भी पड़ता है। बाकि आपकी क्या राय भारतीय रेलवे को लेकर की किस वजह से भारतीयवा रेलवे को घाटा होता है कमेंट में जरूर बताये।