अमरनाथ धाम एक पवित्र तीर्थ स्थल है जो बर्फ से बने शिवलिंग के प्राकृतिक निर्माण के लिए जाना जाता है। अमरनाथ की ये गुफा जम्मू कश्मीर हिमालय क्षेत्र में स्थित है। यहाँ बर्फ से बनने वाले शिवलिंग के निर्माण के पीछे एक गुप्त कहानी है। आज मैं इसी कहानी को विस्तार से बताऊंगा।
Story of Amarnath Temple
अमरनाथ की ये कथा कैलाश पर्वत से शुरू होती है एक बार माता पार्वती ने भगवान् शिव से रूद्र की मोतियों के माला के बारे में पूछा जिसे उन्होंने अपने सर पर धारण किया हुआ था। इस पर भगवन शिव ने समझाते हुए ये बताया की सबसे पहले उन्होंने इन मोतियों को उनके जन्म के प्रतीक के रूप में पहनना शुरू किया था।
जब जब वह पैदा होती है तो एक मनका उस माला में छोड़ा जाता है यह सुनकर माता पार्वती भगवान शिव से पूछती है की मैं हर बार क्यों मरती हु और फिर पुनः जन्म लेती हु जबकि आप तो अमर है। इस पर भगवान् शिव अपने अमर होने की सच्चाई के बारे में बताते है। जिसे अमर कथा कहा जाता है।
इस कहानी को सुनने के लिए माता पार्वती काफी उत्सुक हो जाती है। और बाबा भोलेनाथ से इस कहानी को सुनाने के लिए कहती है। लेकिन भगवान् शिव नहीं चाहते थे कोई भी उनके द्वारा बताई गयी जीवन और मृत्यु के रहस्य को कोई सुने। इसलिए उन्होंने इस कहानी को सुनाने के लिए सुनसान गुफा में जाने का फैसला किया। ताकि कोई भी व्यक्ति और देवता वहा पर आसानी से ना पहुंच पाए।
भगवान् शिव इस रहस्य को अपने और माता पार्वती के बीच में ही रखना चाहते थे। इसलिए वो अपने साथियो और सामान को रास्ते में ही छोड़ते चले गए। गुफा की ओर जाते समय बाबा भोलेनाथ ने अपने बैल नंदी को एक गांव में छोड़ दिया जबकि अपनी जटा के अंत चंद्राकार को चंदनवाड़ी में ही रहने दिया। जिस साप को अपने गले लपेटते थे उसे शेषनाग में छोड़ दिया।
यहाँ तक की जीवन की पांच मूल तत्व जिसे वो धारण करते थे उसे पंचतरणी में छोड़ दिया यही नहीं अपने पुत्र गणेश को भगवान शिव गुरु पर्वत पर छोड़ने का फैसला लिया। ये सभी वही सामान है जो भक्तो को अमरनाथ के यात्रा के दौरान रास्ते में मिलते है। भगवान शिव इस कथा को सुनाने से पहले ये सुनिश्चित करना चाहते थे कही कोई जीव उनके द्वारा बताई जाने वाली अमरता की कहानी ना सुन सके। इसलिए भगवान शिव ने कालाग्नि रूद्र की रचना की इसके बाद उन्होंने कालाग्नि को यह आदेश दिया की गुफा में आग लगा दे। ताकि किसी भी जीवित प्राणी के निशान वह पर ना रह पाए।
जब भगवान शिव पूरी तरह से संतुष्ट हो गए की इस गुफा में कोई नहीं है। तब भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरता की कहानी सुनाई कहानी सुनाने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती दोनों गुफा के अंदर एक बर्फ में विलीन हो गए। अमरता की वो कथा उसी गुफा की सीमा में रह गयी और फिर उसे अमरनाथ गुफा के नाम से जाना जाने लगा।
अमर का अर्थ होता है सदा जीवित रहने वाला और नाथ का अर्थ भगवान होता है इस बात से ही पता चलता है की वो अमर स्थान है।। भगवान् शिव ने माता पार्वती को जीवन और मृत्यु के रहस्य के बारे में बताया था। हर साल लाखो भक्त इस अमरनाथ गुफा में बाबा अमरनाथ का आशीर्वाद लेने के लिए आते है।