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जब बिज़नेस में नुकसान हो तो ये कहानी सुन लेना

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हेलो दोस्तों स्वागत है आपका shayariworld.com में। आज मैं आपको एक बिजनेसमैन की कहानी बताऊंगा जिसको उसी के बिज़नेस में बहुत बड़ा नुक्सान हुआ है। वो बिजनेसमैन अपनी समस्या लेकर एक सन्यासी के पास जाता है।

जब बिज़नेस में नुकसान हो तो ये कहानी सुन लेना

एक बिजनेसमैन को उसी के व्यापार में भारी नुक्सान होता है फिर वो बिजनेसमैन एक सन्यासी के पास जाता है और उस सन्यासी से कहता है की बाबा मुझे मेरे व्यापार के बहुत बड़ा नुक्सान हुआ है। मुझे इस समस्या से निकलने का कोई उपाय बताइये।

सन्यासी बाबा अपने पास से एक चिठ्ठी निकलते है और उस बिजनेसमैन को देते है और कहते है ये चिठ्ठी ख़ास तुम्हारे लिए ही है इस चिट्ठी को घर जाकर पढ़ना और इस चिठ्ठी को अकेले में पढ़ना तुम्हे इस चिठ्ठी के अंदर तुम्हारे सभी सवालो का जवाब मिल जायगा।

जाने चिट्ठी में क्या लिखा था

चिट्टी में लिखा था – मेरे प्रिय जब तुम सुबह जागते हो तो मैं तुम्हारे पास ही खड़ा होता हु मुझे लगता है की तुम मेरे से बात करोगे मेरा ध्यान करोगे लेकिन सुबह उठते ही तुम अपने काम में बिजी हो जाते है सुबह जब चाय पिने के लिए बैठते हो तो मुझे लगता है शायद अब तुम मुझसे बात करोगे।

लेकिन चाय पीते हुए भी तुम देश दुनिया के बारे में सोच रहे होते हो इसके बाद अपने रोज के काम में लग जाते हो लेकिन तुम्हारे पास सभी चीजों के लिए समय होता है लेकिन मुझे याद करने का तुम्हारे पास समय नहीं होता है। मैं हर पल तुम्हारे साथ ही रहता हु।

मैं हर समय तुम्हारे साथ खड़ा रहता हु लेकिन तुम्हारे पास मुझसे बात करने का समय नहीं रहता है। मैं हर पल यही सोचता हु की तुम्हे मेरी मेरी याद तभी आती है जब तुम्हे कोई तकलीफ होती है या फिर तुम्हे कोई काम होता है तब ही तुम मुझे याद करते हो।

और जब तुम तकलीफ में होते हो तब ही तुम मेरे पास अपने दुःख और तकलीफे लेकर आते हो और सिर्फ अपने दुःख के बारे में ही बात करते हो एक बार भी मेरे बारे में नहीं पूछते हो। बस तुम हर पल यही सोचते हो की तुम्हारा काम हो जाए और तुम्हारी इच्छा ये रहती है की सिर्फ तुम्हारा काम पूरा हो जाये।

तुम्हे मुझसे मिलने की कोई इच्छा नहीं रही है तुम्हे मेरे बारे में जानने की कोई इच्छा नहीं रहती है। लेकिन फिर भी मैं इंतजार कर रहा होता हु एक दिन तुम्हे मेरी याद आएगी और तुम मेरे पास आओगे लेकिन तुम मेरे पास आते ही नहीं हो। इस चिट्ठी के नीचे लिखा था आपका प्रिय भगवान् ईश्वर जिसे भी तुम मानते हो।

ये चिट्ठी पढ़ते पढ़ते उस बिजनेसमैन के आखों में आँसू आ गए और भागते हुए आश्रम में गए और उस सन्यासी से मिले और कहा बाबा जी से कहा आपने मेरी आखें खोल दिया मुझे पता चल गया की मैं अपनी ज़िन्दगी कौन सी चीज भूल रहा था।

मुझे समझ में आ गया की मैं सिर्फ भगवान् को काम के समय ही याद करता हु हर समय याद कर लू तो शायद मेरा काम बन जाए। सन्यासी ने कहा भगवान् हर समय तुम्हारे साथ है बस तुम्हे कुछ समय उनके लिए भी निकलना होगा।

जब तुम ऐसा करोगे तो तुम्हारी चिंताए कम हो जायँगी और जीवन में खुशिया बढ़ने लगेगी अपने दिमाग को शांत करना शुरू करो ये बहुत छोटी सी कहानी है जो पुरे जीवन का सार समझती है।

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