क्या आपको पता है की नवरात्रि का पहला व्रत किसने रखा था आज मैं आपको बताऊंगा की नवरात्रि का पहला उपवास किसने रखा था। नवरात्री जिसे हम शक्ति की उपासना का पर्व मानते है जिसे हम माता दुर्गा जी की आराधना का समय मानते है। इस पर्व में हम 9 देवियो की आराधना करते है।
नवरात्रि का पहला उपवास किसने रखा था
नवरात्री पर एक कथा है जो भगवान् राम और रावण के युद्ध पर आधारित एक कथा है जो आपको बताएगी की कैसे माँ चंडी देवी की आराधना ने भगवान् श्री राम को रावण पर विजय दिलाया था। त्रेता युग में रावण ने माता सीता का हरण किया था जिससे भगवान् श्री राम की जीवन शैली में भूचाल आ गया था।
ये सभी जानते है की रावण ने माता सीता का हरण करके लंका के अशोक वाटिका में रखा था। भगवान् श्री राम जो धर्म के रक्षक थे जो अपने भाई लक्ष्मण और वानर सेना के साथ लंका पर चढ़ाई के लिए तैयार थे। ये युद्ध व्यक्तिगत नहीं था बल्कि बुराई के प्रति अच्छाई का संघर्ष था।
भगवान् श्री राम ने जब लंका पर चढ़ाई किया था तब वहा पर बहुत भयानक युद्ध हुआ और रावण की सेना बहुत बलशाली और शक्तिशाली थी और देवी माँ खुद रावण के पक्ष में लड़ रही थी। इस परिस्थिति में भगवान् श्री राम की सेना का मनोबल काफी टूट चूका था।
ऐसे में जामवंत जी एक वृद्ध और बुद्धिमान व्यक्ति थे उन्होंने भगवान् श्री राम को प्रेरणा दिया और बताया की आराधना शक्ति ही आपको विजय दिला शक्ति है। और भगवान् श्री राम को समझ में आया उन्हें माँ चंडी देवी की पूजा करनी चाहिए माँ ही उन्हें विजय का आशीर्वाद दे सकती है।
इस युद्ध के लिए भगवान् श्री राम को ब्रह्मा जी का भी सुझाव प्राप्त हुआ उन्होंने बताया की वो अगर वो माता दुर्गा की चंडी स्वरुप की पूजा करेंगे तो वो रावण पर विजय प्राप्त कर सकते है। भगवान् श्री राम ने ब्रह्मा जी की सलाह को मानते हुए पूजा का निर्णय लिया।
भगवान् श्री राम को इस पूजा के लिए 108 कमल के फूलो की आवश्यकता थी इन फूलो को लाने का काम भगवान् श्री राम ने हनुमान जी को सौपा था ये फूल माँ चंडी देवी को अर्पित किये जाने थे। रावण जो अपनी बुराई में अरित था उसने भगवान् श्री राम की इस पूजा में बाधा डालने का निश्चय लिया।
रावण ने 108 फूलो में से 1 फूल को गायब कर दिया और जब भगवान् श्री राम जी को इस बात का पता चला की सिर्फ 107 फूलो की व्यवस्था हो पायी है वो बहुत चिंतित हुए उन्हें लगा की 108 फूलो के बिना उनकी पूजा अधूरी रह जायगी। इस कारण उनकी विजय भी असंभव रह जायगी।
इस पूजा को पूरा करने के लिए भगवान् श्री राम ने अपने एक नेत्र को अर्पित करने का निर्णय लिया क्योकि भगवान् श्री राम के भक्त उनको नील कमल के सामान मानते थे। भगवान् श्री राम ने 107 फूल अर्पित कर दिए और आखिरी फूल के लिए उन्होंने अपनी आखँ की ओर तीर को उठाया।
तभी माँ चंडी देवी प्रकट हो गयी और दर्शन दिए और माता की उपस्थिति से भगवान श्री राम के मन विजय की आशा का संचार हुआ। माँ चंडी देवी ने भगवान् श्री राम जी की भक्ति और त्याग को देखने हुए उन्हें वरदान दिया की इस युद्ध में आपकी विजय होगी।
इस वरदान के बाद भगवान् श्री राम ने युद्ध में अपनी पूरी शक्ति और धैर्य के साथ लड़ाई को जारी रखा और अंत में रावण का वध किया और माता सीता को बंधन मुक्त करके लंका से अयोध्या की ओर लौट आये।
इसमें भगवान् श्री राम की विजय हुई इसके बाद ही नवरात्री पूजा की परम्परा प्रारम्भ हुई, कहा जाता है की भगवान् श्री राम ने नौ दिनों तक उपवास रखा था और माता की आराधना किया था। इसलिए नवरात्री के पर्व में 9 दिन तक उपवास रखने की परम्परा की शुरुआत हुई।
ये नवरात्री का पर्व हम सभी को शक्ति, भक्ति और साहस का सन्देश देता है। और ये सिखाता है की हमें भरोसा बनाये रखना है अपने आस्था को नहीं छोड़ना है अपने अंदर के विश्वास को नहीं छोड़ना है। माता की कृपा से हम हर बाधा को पार कर सकते है।
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